जय-जय मां नर्मदे के जयघोष के साथ हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
वैशाख माह की बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष स्नान
प्रतीकात्मक फोटोगुरुवार को वैशाख माह की बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर नर्मदापुरम में स्थित नर्मदा नदी के तट पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था और विश्वास के साथ डुबकी लगाई। श्रद्धालु सुबह से ही नर्मदा के तट पर पहुंचने लगे और "जय-जय मां नर्मदे" के जयघोष के साथ पवित्र स्नान और पूजा-अर्चना कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
श्रद्धालुओं की भीड़
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नर्मदा नदी के तट पर सुबह से ही भक्तों का आगमन शुरू हो गया था। पुरुष, महिलाएं, और बच्चे सभी ने आस्था और विश्वास के साथ पवित्र नर्मदा में स्नान किया और पूजा-पाठ में हिस्सा लिया। हर तरफ उत्साह और भक्ति का माहौल देखने को मिला।
धार्मिक मान्यताएँ और पुण्य लाभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख माह में जो लोग दान-धर्म नहीं कर पाते, वे बुद्ध पूर्णिमा के दिन दान और स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं। वैशाख माह को स्वयं में पूर्ण पवित्र माह माना जाता है और वैशाखी पूर्णिमा पर इस माह का समापन भी होता है।
दान-धर्म और पुण्य का महत्व
श्रद्धालुओं के अनुसार, इस दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इसके साथ ही, दान-धर्म करने से पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन का महत्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए होता है जो पूरे माह दान-धर्म नहीं कर पाते।
विशेष आयोजन और व्यवस्था
नर्मदापुरम प्रशासन द्वारा विशेष रूप से सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। घाटों पर पुलिस और स्वयंसेवकों की तैनाती की गई थी ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। साथ ही, नदी के तट पर सफाई और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया था।
श्रद्धालुओं के अनुभव
स्नान करने आए श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्हें इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। श्रद्धालु, भक्तों ने बताया कि हर साल बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर नर्मदा नदी में स्नान करने हजारों भक्त आते है। स्नान और दान आदि से श्रध्दालुओं में आत्मिक शांति और मानसिक संतोष प्राप्त होता है।
नर्मदापुरम में बुद्ध पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने आस्था की डुबकी लगाई और पुण्य लाभ अर्जित किया। इस मौके पर किए गए विशेष आयोजनों और प्रशासनिक व्यवस्थाओं ने इस दिन को और भी विशेष बना दिया। श्रद्धालुओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे इस दिन को हमेशा याद रखेंगे और अगले वर्ष फिर से इस पवित्र स्नान में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की।
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