पेंच टाइगर रिजर्व के कर्माझिरी गांव का पुनर्विस्थापन: आठ साल बाद मिली स्वीकृति
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में स्थित पेंच टाइगर रिजर्व के कर्माझिरी गांव का पुनर्विस्थापन पिछले आठ सालों से एक प्रमुख मुद्दा रहा है। बाघ, तेंदुआ और अन्य वन्यजीवों की बढ़ती संख्या के कारण वन क्षेत्र सीमित पड़ने लगे हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस स्थिति में, गांव के ग्रामीणों ने अपनी जन्मभूमि और घर-बार छोड़ने का कठिन निर्णय लिया है। इस लेख में, हम इस पुनर्विस्थापन प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं और इसके प्रभावों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
वन्यप्राणियों के बढ़ते खतरे से ग्रामीण सहमत
पेंच टाइगर रिजर्व के कर्माझिरी गांव में वन्यजीवों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। बाघ, तेंदुआ और अन्य वन्यजीव जंगल के सीमित क्षेत्र में समा नहीं पा रहे हैं और इस कारण वे अक्सर कोर और बफर क्षेत्रों से बाहर आकर मानव बस्तियों में प्रवेश कर जाते हैं। इस बढ़ती समस्या के चलते ग्रामीणों को फसल नुकसान और पालतू मवेशियों पर हमले का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों के लिए यह स्थिति असहनीय हो चुकी थी और इसी कारण उन्होंने अपनी जन्मभूमि को छोड़ने का निर्णय लिया है।
विस्थापन के लाभ
ग्रामीणों के पुनर्विस्थापन से वन्यजीवों के लिए नए घास के मैदान तैयार होंगे और मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी आएगी। राज्य सरकार ने 26 जुलाई 2022 को पेंच टाइगर रिजर्व के सीमावर्ती वन क्षेत्र को शामिल करते हुए नवीन कर्माझिरी अभयारण्य की अधिसूचना जारी की थी। इससे ग्रामीणों को जोगीवाड़ा में पक्का घर और खेती के लिए भूमि उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इससे वन्यजीवों के लिए पर्याप्त स्थान मिलेगा और उनके आपसी संघर्ष भी कम होंगे।
वित्तीय सहायता और भूमि आवंटन
पुनर्विस्थापन प्रक्रिया के तहत प्रत्येक परिवार को केंद्र सरकार द्वारा 15 लाख रुपये की एकमुश्त राशि दी जाएगी। यह राशि पहले 10 लाख रुपये थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया है। यदि कोई परिवार नकद राशि नहीं लेना चाहता है, तो उसे पुनर्विस्थापन के लिए 2.5 हेक्टेयर (करीब 5 एकड़) भूमि खेती के लिए प्रदान की जाएगी। यह निर्णय ग्रामीणों के लिए एक बड़ी राहत है और उन्हें अपने जीवन को नए सिरे से शुरू करने में मदद करेगा।
नई बसाहट के लिए भूमि चयन
जोगीवाड़ा बीट के कक्ष क्र. 436 और 437 में 160 हेक्टेयर जमीन को नया गांव बसाने के लिए चयनित किया गया है। यहां ग्रामीणों के लिए रोड, बिजली, पानी, अस्पताल, और स्कूल जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे ग्रामीणों को न केवल एक सुरक्षित निवास स्थान मिलेगा, बल्कि उनके बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य की भी उचित व्यवस्था होगी। पुनर्विस्थापन प्रक्रिया में इन सभी सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा ताकि ग्रामीणों को किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
सर्वेक्षण और प्रक्रिया
आठ साल पहले हुए सर्वे में 138 परिवारों ने पुनर्विस्थापन पर सहमति जताई थी। वर्तमान में विस्तृत सर्वेक्षण कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा। इस सर्वेक्षण में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वर्तमान में कितने परिवार इस पुनर्विस्थापन के लिए योग्य हैं। प्रत्येक परिवार को एक यूनिट मानकर कैंपा फंड से राशि दी जाएगी। इस सर्वेक्षण में यह भी देखा जाएगा कि कौन-कौन से परिवार नकद राशि लेना चाहते हैं और कौन-कौन से परिवार घर और खेती के लिए जमीन की मांग कर रहे हैं।
पुनर्विस्थापन की प्रक्रिया
पुनर्विस्थापन की प्रक्रिया में सबसे पहले ग्रामीणों की सहमति प्राप्त की गई थी। इसके बाद, राज्य सरकार द्वारा पेंच टाइगर रिजर्व के सीमावर्ती वन क्षेत्र को शामिल करते हुए नवीन कर्माझिरी अभयारण्य की अधिसूचना जारी की गई। इस अधिसूचना के जारी होने के बाद, कर्माझिरी गांव से विस्थापित होने वाले ग्रामीणों को जोगीवाड़ा में पक्का घर और खेती के लिए भूमि उपलब्ध कराने का रास्ता साफ हो गया। पुनर्विस्थापन प्रक्रिया के तहत, ग्रामीणों को उनके वर्तमान निवास स्थान से नई बसाहट में स्थानांतरित किया जाएगा।
पुनर्विस्थापन के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
पुनर्विस्थापन का ग्रामीणों पर गहरा सामाजिक और आर्थिक प्रभाव पड़ेगा। नई बसाहट में स्थानांतरित होने से ग्रामीणों को बेहतर जीवन की संभावनाएं मिलेंगी। उन्हें पक्का घर, खेती के लिए पर्याप्त भूमि, और बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी, जो उनके जीवन स्तर को सुधारने में मदद करेंगी। इसके साथ ही, बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर व्यवस्था से आने वाली पीढ़ी को भी लाभ होगा।
वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय लाभ
पुनर्विस्थापन से न केवल ग्रामीणों को लाभ होगा, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिकोण से भी यह एक महत्वपूर्ण कदम है। कर्माझिरी गांव के खाली होने से वन्यजीवों के लिए नए घास के मैदान तैयार होंगे, जिससे उनके आवास में सुधार होगा। इसके साथ ही, मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी आएगी और वन्यजीवों को सुरक्षित आवास मिलेगा। यह कदम वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है।
कर्माझिरी गांव के पुनर्विस्थापन से न केवल ग्रामीणों को सुरक्षित और बेहतर जीवन मिलेगा, बल्कि पेंच टाइगर रिजर्व के वन्यजीवों के लिए भी उपयुक्त आवास सुनिश्चित होगा। यह कदम वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। ग्रामीणों के पुनर्विस्थापन से न केवल उन्हें नई संभावनाएं मिलेंगी, बल्कि वन्यजीवों के लिए भी बेहतर आवास की व्यवस्था होगी। इस पूरी प्रक्रिया में सरकार और ग्रामीणों के सहयोग से ही यह संभव हो सका है और इससे सभी संबंधित पक्षों को लाभ होगा।
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