छिंदवाड़ा जिले को मसाला खेती से मिलेगी नई पहचान
जनजातीय किसानों को मिलेगा आर्थिक संबल
मध्यवप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले आदिवासी जनजातीय क्षेत्रों के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के उददेश्य़ से जिले में लौंग, इलायची, काली मिर्च और तेजपत्ता की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले की अनुकूल जलवायु को ध्यान में रखते हुए इस नवाचार को प्रारंभिक तौर पर अमरवाड़ा, हर्रई, तामिया और जुन्नारदेव विकास खंडों में लागू किया जाएगा। इस पहल से यह उम्मीद की जा रही है कि छिंदवाड़ा जिले को मसाला खेती से जिले को एक नई पहचान दिलाएंगा।
अनुकूल जलवायु और नवाचार की आवश्यकता
बताया जाता है कि कृषि वैज्ञानिक भी छिंदवाड़ा की जलवायु मसाला फसलों के उत्पादन के लिए अनुकूल मानते है। इसी को मद्देनज़र रखते हुए, किसानों को इन मसाला फसलों की खेती के बारे में जागरूक और प्रेरित करने के उद्देश्य से जिला पंचायत सभाकक्ष में एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। जानकारी के अनुसार इस कार्यशाला में जिले के 39 किसानों ने भाग लिया और लौंग, इलायची, काली मिर्च एवं तेजपत्ता की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
कलेक्टर का संदेश और प्रोत्साहन
कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने कार्यशाला के दौरान किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अगर किसान कृषि और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के उचित मार्गदर्शन में स्मार्ट वर्क करेंगे और आवश्यकता के अनुसार खेती की पद्धति में बदलाव करेंगे, तो किसान अधिक से अधिक लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश का इस तरह का पहला नवाचार है और इसकी सफलता किसानों की रुचि, उत्साह, मेहनत और लगन पर निर्भर करेगी।
आर्थिक लाभ की संभावनाएं
कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने बताया कि इस परियोजना के तहत नमी वाले क्षेत्रों में मसाला खेती की जाएगी। उन्होंने जानकारी दी कि एक हेक्टेयर में खेती की लागत 50 हजार रुपए आएगी और तीन साल बाद पहली बार में ही साढ़े तीन लाख रुपए की फसल मिलेगी। इससे किसान एक बार की लागत से सालों-साल लाखों रुपये कमा सकेंगे।
सरकारी योजनाओं का सहयोग
सरकार किसानों को अधिकतम योजनाओं का लाभ दिलाकर उनकी मदद करेगी। यह नवाचार छिंदवाड़ा जिले को मसाला खेती के क्षेत्र में नई पहचान दिलाने में सहायक होगा। इस पहल से उम्मीद है कि छिंदवाड़ा के किसान मसाला फसलों की खेती में सफल होंगे और जिले को मसाला उत्पादन के मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाएंगे।
इस नवाचार से छिंदवाड़ा जिले के किसानों को न केवल आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि वे नई कृषि पद्धतियों से भी अवगत हो सकेंगे। यह परियोजना जिले के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और जनजातीय क्षेत्रों के किसानों को एक स्थायी और लाभकारी कृषि विकल्प प्रदान करेगी।
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