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Goshala: अम्‍मा की गौशाला में सुधार की आवश्यकता, समाजसेवी के व्‍यक्तिगत प्रयासों से गौशाला की बिजली हुई बहाल

 अम्‍मा की गौशाला में सुधार की आवश्यकता

समाजसेवी के व्‍यक्तिगत प्रयासों से गौशाला की बिजली हुई बहाल 


'अम्‍मा की गौशाला' में व्यवस्थाओं की कमी हमेशा से जूझना पड रहा है। वर्तमान में केवल एक या दो लोग ही गौशाला की व्यवस्थाओं और सेवा कार्यों को संभालते हैं, जिसके कारण पशुओं को पर्याप्त चारा और पानी की आपूर्ति में कमी होती है। बीमार पशुओं के इलाज के लिए भी जनसहयोग से आर्थिक मदद की आवश्यकता पड़ती है। 

  स्थानीय लोग मानते हैं कि नगर में 'अम्‍मा की गौशाला' ही एकमात्र स्थान है जहां पशुओं की देखभाल की जाती है। अगर नगर पालिका प्रशासन इस गौशाला की जिम्मेदारी ले ले, तो शहर में घूमने वाले आवारा पशुओं की देखभाल सही तरीके से की जा सकेगी। प्रशासन को चाहिए कि वह गौशाला की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए और नियमित रूप से आवश्यक संसाधन प्रदान करे।

   नगर के पुरानी सारनी दमुआ मार्ग पर स्थित 'अम्‍मा की गौशाला' में पिछले एक सप्ताह से बिजली की समस्या से जूझ रही थी। इस समस्या का समाधान शुक्रवार को समाजसेवी जगदीश आहुजा ने अपने प्रयासों से किया। शुक्रवार को, गौशाला में जाकर जगदीश आहुजा ने देखा कि बिजली तार पूरी तरह टूट चुके थे। उन्होंने तुरंत इलेक्‍ट्रीशियन को बुलाकर टूटे तारों को सुधारने का काम शुरू करवाया। केबल तार की पूरी तरह से खराबी के कारण, उन्होंने एक बंडल केबल तार लाकर चिलचिलाती धूप में मेंटेनेंस कार्य करवाया। जगदीश आहुजा का यह कदम समाज के लिए एक प्रेरणा है कि किस प्रकार व्यक्तिगत प्रयासों से भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।

'अम्‍मा की गौशाला' का वर्तमान स्थिति यह दर्शाती है कि समाज और प्रशासन दोनों की सामूहिक प्रयासों की कितनी आवश्यकता है। समाजसेवी जगदीश आहुजा के प्रयासों से हमें यह सीख मिलती है कि व्यक्तिगत प्रयास भी कितने महत्वपूर्ण हो सकते हैं। प्रशासन की मदद और समुदाय की सक्रिय भागीदारी से ही हम एक ऐसी व्यवस्था बना सकते हैं जो न केवल पशुओं की बल्कि समाज के हर वर्ग की सेवा कर सके।

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