पचमढ़ी में भूस्खलन से बचाव:
उत्तराखंड की तकनीक का होगा उपयोग
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सोशल मीडिया:फोटो |
पचमढ़ी का नागद्वारी क्षेत्र अपनी खूबसूरत पहाड़ियों और धार्मिक महत्व के कारण हर साल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। लेकिन, बारिश के मौसम में इन पहाड़ियों में Landslide prevention in Pachmarhi का खतरा बढ़ जाता है, जिससे न केवल प्राकृतिक सुंदरता को नुकसान पहुंचता है, बल्कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है। विशेषकर जलगलि से नागद्वारी की खाई तक जाने वाले रास्ते में चित्रशाला के पास डेढ़ किलोमीटर लंबी पहाड़ी में Landslide prevention in Pachmarhi का खतरा मंडरा रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए, पचमढ़ी प्रशासन ने उत्तराखंड में सफलतापूर्वक इस्तेमाल की गई गेवियन पिचिंग और विंग वॉल तकनीक को अपनाने का निर्णय लिया है।
भूस्खलन का खतरा और सुरक्षा की योजना
प्राप्त जानकारी के अनुसार नागद्वारी मेले में चित्रशाला क्षेत्र से लाखों श्रद्धालु नाग मंदिर की गुफा तक जाते हैं। बारिश के दौरान, खासकर नागपंचमी के समय, इन पहाड़ियों में Landslide prevention in Pachmarhi की संभावना बढ़ जाती है। इस समस्या को हल करने के लिए, प्रशासन ने तत्काल प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था करने की योजना बनाई है। पचमढ़ी के पहाड़ों में पिछले वर्ष हुए भूस्खलन के अनुभव ने प्रशासन को इस वर्ष और अधिक सतर्क बना दिया है।
बताया जाता है कि चित्रशाला के पास डेढ़ किलोमीटर लंबी पहाड़ी पर Landslide prevention in Pachmarhi की संभावनाओं को देखते हुए, लोक निर्माण विभाग ने गेवियन पिचिंग तकनीक का उपयोग करने का फैसला किया है। इस तकनीक में लोहे की जालियों में पत्थरों को बांधकर पिचिंग की जाती है, जिससे पहाड़ी की चट्टानें सुरक्षित रूप से एक जगह सेट रहती हैं और उनके खिसकने का खतरा कम हो जाता है।
महादेव और धूपगढ़ मार्ग पर सुरक्षा
चौरागढ महादेव और धूपगढ़ मार्ग पर भी पिछले वर्ष भारी बारिश के बाद कई स्थानों पर भूस्खलन Landslide prevention in Pachmarhi हुआ था, जिससे सड़कों को नुकसान पहुंचा था। अब, इन मार्गों पर भूस्खलन के क्षेत्रों में विंग वॉल बनाकर सुरक्षा प्रदान की जाएगी। महादेव मंदिर मार्ग में सितंबर 2023 में जोरदार बारिश के बाद कई जगहों पर Landslide prevention in Pachmarhi भूस्खलन हुआ था, जिससे सड़क टूट गई थी। पीडब्ल्यूडी अब यहां नई सड़क का निर्माण कर रहा है, लेकिन भूस्खलन से इसकी सुरक्षा के लिए विंग वॉल बनाई जाएगी। इसी तरह, धूपगढ़ के रास्ते में भी लगभग पांच स्थानों पर भूस्खलन का खतरा है, जहां विंग वॉल का निर्माण किया जाएगा।
उत्तराखंड की गेवियन तकनीक का उपयोग
उत्तराखंड में Landslide prevention in Pachmarhi भूस्खलन रोकने के लिए गेवियन पिचिंग तकनीक का उपयोग सफलतापूर्वक किया जा चुका है। इस तकनीक के तहत, लोहे की जालियों में पत्थरों को बांधकर एक संरचना बनाई जाती है, जिसे गेवियन कहा जाता है। यह तकनीक पहाड़ियों की चट्टानों को एक जगह सेट रखने में मदद करती है, जिससे उनके खिसकने का खतरा कम हो जाता है।
जानकारी के अनुसार पचमढ़ी में भी इस तकनीक को अपनाने की योजना है। लोक निर्माण विभाग इस तकनीक को लागू करने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा कर रहा है। एक बार ये प्रक्रियाएं पूरी हो जाने के बाद, गेवियन पिचिंग का निर्माण कर दिया जाएगा, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में Landslide prevention in Pachmarhi भूस्खलन का खतरा कम हो जाएगा। बताया जाता है कि नागद्वारी क्षेत्र में चित्रशाला के पास डेढ़ किलोमीटर लंबी पहाड़ी पर भूस्खलन की संभावना को देखते हुए गेवियन पद्धति से पिचिंग का निर्माण किया जाएगा। इतना ही नहीं महादेव और धूपगढ़ के रास्ते में भूस्खलन के क्षेत्रों में विंग वॉल बनाकर सुरक्षा की जाएगी।
भविष्य की तैयारियाँ
पचमढ़ी प्रशासन इस बार Landslide prevention in Pachmarh भूस्खलन से निपटने के लिए पहले से ही तैयार है। गेवियन पिचिंग और विंग वॉल जैसी तकनीकों का उपयोग करके, प्रशासन न केवल प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयार है, बल्कि यहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। इस प्रयास से पचमढ़ी की पहाड़ियों की प्राकृतिक सुंदरता को भी संरक्षित किया जा सकेगा और Landslide prevention in Pachmarh भूस्खलन के खतरों को कम किया जा सकेगा। इस प्रकार, पचमढ़ी में भूस्खलन से निपटने के लिए उत्तराखंड की नई तकनीक का उपयोग एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल सुरक्षा को बढ़ाएगा बल्कि पचमढ़ी के पर्यटन को भी प्रोत्साहित करेगा
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